Saturday, April 23, 2011

होता है बस वक़्त सिकंदर






झूठे  सारे  पीर    पैगम्बर 
देवता-पितर,जंतर -मंतर 


चाहे कोई  कितना  कर ले 
होता है बस वक़्त सिकंदर 


खाक छानते लोग कबीले
योगी-भोगी मस्त कलंदर 


देख बहुत  हैरानी  होती 
ठाट-बाट बापू के बन्दर 


मुल्ला-पंडित चेहरा ओढ़े 
जपते राम चलाते  खंजर 


रावण हो या  राजा  राम 
नहीं मसीहा कोई  रहबर 


न  जीते, न  मरते   बनता 
जैसे हालत सांप छुछुनदर  

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