झूठे सारे पीर पैगम्बर
देवता-पितर,जंतर -मंतर
चाहे कोई कितना कर ले
होता है बस वक़्त सिकंदर
खाक छानते लोग कबीले
योगी-भोगी मस्त कलंदर
देख बहुत हैरानी होती
ठाट-बाट बापू के बन्दर
मुल्ला-पंडित चेहरा ओढ़े
जपते राम चलाते खंजर
रावण हो या राजा राम
नहीं मसीहा कोई रहबर
न जीते, न मरते बनता
जैसे हालत सांप छुछुनदर
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