आम लिखेगा, ख़ास लिखेगा
वक़्त सबका,इतिहास लिखेगा
रोटी, किल्लत, रोग-बीमारी
भूख लिखेगा, प्यास लिखेगा
तुम्बाफेरी, सीनाजोरी
घपला-पर्दाफाश लिखेगा
बलात्कार, अपहरण, फिरौती
चीरहरण, उच्छ्वास लिखेगा
राजनीति अब महज तमाशा
संसद भी बदहवास लिखेगा
बिना हिफाज़त लोकतंत्र को
मुर्दाघर की लाश लिखेगा
भूल-चुक सब लेनी-देनी
बही-खाता, विश्वास लिखेगा
दिल्ली सबकी लेकिन फिर भी
दूर लिखेगा, पास लिखेगा
sir in rachnao ka kitab me hona atyant aawashyak hai. aap lakhon pathak k sath anyay kar rahe hain.
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