Wednesday, April 27, 2011

भूख लिखेगा,प्यास लिखेगा


आम   लिखेगा,  ख़ास लिखेगा
वक़्त सबका,इतिहास लिखेगा


रोटी,  किल्लत,    रोग-बीमारी
भूख लिखेगा,   प्यास लिखेगा


तुम्बाफेरी,              सीनाजोरी
घपला-पर्दाफाश         लिखेगा


बलात्कार, अपहरण,   फिरौती
चीरहरण,    उच्छ्वास लिखेगा


राजनीति  अब  महज  तमाशा
संसद  भी  बदहवास   लिखेगा


बिना  हिफाज़त  लोकतंत्र   को
मुर्दाघर   की    लाश    लिखेगा


भूल-चुक       सब     लेनी-देनी
बही-खाता,     विश्वास लिखेगा


दिल्ली सबकी लेकिन फिर भी
दूर लिखेगा,        पास लिखेगा

1 comment:

  1. sir in rachnao ka kitab me hona atyant aawashyak hai. aap lakhon pathak k sath anyay kar rahe hain.

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