Monday, August 29, 2011
Thursday, August 25, 2011
उदास लड़की और नम कविता
जब कोई लड़की
होती है उदास
उतर जाता है
धुप का चेहरा
मट मैला हो उठता है आकाश
थम जाती है
हवाओं में घुली खुशबु
थीर हो जाती है
नदी की धार
कुम्हला जाती है
फूलों की काया
सर्द पड़ जाता है मौसम
गिले हो जाते है शब्द
भींग जाती है कविता
कपकपाने लगते है
अभिव्यक्ति के होठ
तिलमिला उठती है
संवेदना की रूह
इर्द गिर्द फ़ैल जाता है
दर्द का अथाह समंदर
कराह उठता है
कलम का कलेजा और
बेजान कोरे कागज़ पर
जन्म लेती है
एक मुकम्मल
नम कविता
सबसे उदास लड़की
की मानिंद
Printed In "Hidustaan" danik paper
3 august 2008
Subscribe to:
Posts (Atom)