मज़बूरी, बेबसी, घुटन है
सांसत में जीवन यापन है
वस्त्रहीन,जर्जर जन गण है
सुखा यौवन,भूखा बचपन है
कहने को आज़ाद वतन है
सीनाजोरी और मनमानी
कुर्सी खातिर खीचातानी
तंगहाल जनता बेपानी
जोर जुल्म अन्याय -दमन है
कहने को आज़ाद वतन है
रिश्वतखोरी , भ्रस्त्रचारी
दिन-दिन बदती बेरोजगारी
महंगी ,तंगी ,भूख ,लाचारी
अब न कोई कही शरण है
कहने को आज़ाद वतन है
चीख , पुकार , पीड़ा - क्रंदन है
रोज़ फिरौती बलात्कार-अपहरण है
पंडित , ज्ञानी फिरते वन वन
राम नहीं अब राजा रावण है
कहने को आज़ाद वतन है
ऊँचा है राजा का आसन
प्रजातंत्र का कोरा आश्वासन
भाषण पर चलता है शासन
अमन बिना उदास चमन है
कहने को आज़ाद वतन है