जब कोई लड़की
होती है उदास
उतर जाता है
धुप का चेहरा
मट मैला हो उठता है आकाश
थम जाती है
हवाओं में घुली खुशबु
थीर हो जाती है
नदी की धार
कुम्हला जाती है
फूलों की काया
सर्द पड़ जाता है मौसम
गिले हो जाते है शब्द
भींग जाती है कविता
कपकपाने लगते है
अभिव्यक्ति के होठ
तिलमिला उठती है
संवेदना की रूह
इर्द गिर्द फ़ैल जाता है
दर्द का अथाह समंदर
कराह उठता है
कलम का कलेजा और
बेजान कोरे कागज़ पर
जन्म लेती है
एक मुकम्मल
नम कविता
सबसे उदास लड़की
की मानिंद
Printed In "Hidustaan" danik paper
3 august 2008
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