Saturday, May 7, 2011

रुबाई



हर बार किनारे में      डूबी है किश्तियाँ
हर बार आँधियों में उजड़ी है बस्तियां
हो आग होम की या   चिता कही जले
जब भी लगी है आग,  जली है बेटियां

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