Friday, November 19, 2010

लड़की

लड़की
इतनी मासूम हुई कि
शबनम बन गयी



लड़की
इतनी सकुचाई कि 
छुई मुई बन गयी



लड़की
इतनी खुबसूरत हुई कि
फूल बन गई



लड़की
इतनी गोरी हुई कि
चांदनी बन गई



लड़की
इतनी खिलखिलाई कि 
अल्हड झरनों की
किलकिलाहट बन गई



लड़की
इतनी चंचल हुई कि
इन्द्रधनुषी पंखो वाली
चिड़ियाँ बन गई



लड़की
इतनी भोली हुई कि
खिलौना बन गई



लड़की
इतनी मुस्कुरायी कि
ताजमहल बन गई



लड़की
इतनी सयानी हुई कि
बोझ बन गई



लड़की
इतनी पिघली कि
बर्फ का दरिया बन गई



लड़की
इतनी चुप हुई कि
तूफ़ान उठने के पूर्व की
ख़ामोशी बन गई





लड़की
इतनी जली कि
सुर्ख लाल
आग बन गई 

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