Sunday, November 21, 2010

आग हुई है कोई लड़की

जब-जब
सूखी है उफनती नदी
लगा है
रोई है कोई लड़की,

जब-जब
मटमैला हुआ है मौसम
लगा है
मायूस हुई है कोई लड़की,

जब-जब मद्धिम पड़ी है चांदनी
लगा  है
गुम हुई है कोई लड़की,

जब-जब
दरका है शीशा
लगा है ठेस खायी है कोई लड़की,

जब-जब
फनफनाई है नागफनी
लगा है
कटीले तारों से
घिरी है कोई लड़की,

जब- जब
उठा है धुआं
लगा है
आग के हवाले हुई है कोई लड़की   

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