रोज़ हताहत घायल भोला
अपनेपन का कायल भोला
खुल कर अमृत बांटा सबको
पीता स्वयं हलाहल भोला
मिला न मौसम मिला सावन
दर दर प्यासा बादल भोला
गर मिल जाती भोली आँखे
टिक जाता बन काज़ल भोला
ऐसे मिली निगोरी किस्मत
थामे किसका आँचल भोला
लिखे श्याम की मधुर बांसुरी
हर राधा का पायल भोला
फ़िक्र न जिसको अपनी कोई
गीत-ग़ज़ल मे पागल भोला
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